चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने गोमतीनगर में होमियो शक्ति 2024 कार्यक्रम में विश्व होम्योपैथी दिवस (10 अप्रैल) समारोह का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर सैमुअल हैनिमैन की 269वीं जयंती मनाई गई, जिन्हें व्यापक रूप से होम्योपैथी के जनक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
इस्कॉन मंदिर लखनऊ के पुजारी श्याम दास प्रभु ने शारीरिक कल्याण के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के महत्त्व पर ज़ोर दिया, तनाव और चिंता से निपटने के लिये आध्यात्मिक एवं शारीरिक देखभाल के बीच संतुलन का आग्रह किया। विश्व होम्योपैथी दिवस 2024 की थीम है “होम्योपरिवार: एक स्वास्थ्य, एक परिवार”.
होम्योपैथी
‘होम्योपैथी’ शब्द दो ग्रीक शब्दों से बना है, होमोइस का अर्थ है समान और पैथोस का अर्थ है पीड़ा। इसका सीधा सा मतलब है बीमारियों का उपचार सूक्ष्म खुराकों में निर्धारित पद्धति से करना, जो स्वस्थ लोगों द्वारा लेने पर रोग के समान लक्षण उत्पन्न करते हैं। यह उपचार के प्राकृतिक नियम- “Similia Similibus Curantur (सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरंटूर)” पर आधारित है, जिसका अर्थ है “रोग के समान उपचार से रोग को ठीक किया जाना”। 19वीं सदी की शुरुआत में डॉ. सैमुअल हैनिमैन (1755-1843) ने इसे वैज्ञानिक आधार प्रदान किया था।
इस प्रकार, विश्व होम्योपैथी दिवस के माध्यम से हमें होम्योपैथी के महत्व को समझने और समाज को इसके प्रति जागरूक करने का मौका मिलता है। इसे लोगों के साथ साझा करने से हम चिकित्सा जगत की विशेषताओं को जान सकते हैं और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने में सहायक हो सकते हैं।
यदि आपको कुछ और जोड़ना हो तो कृपया बताएं।