खुशी का पैमाना केवल आर्थिक समृद्धि तक सीमित नहीं होता, बल्कि सामाजिक सहयोग, जीवन प्रत्याशा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार से मुक्ति जैसे कई अन्य कारक भी इसमें शामिल होते हैं। यही कारण है कि वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 ने इन सभी कारकों को ध्यान में रखकर विभिन्न देशों की रैंकिंग जारी की है। इस लेख में हम वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 की मुख्य बातों पर चर्चा करेंगे और देखेंगे कि भारत इसमें कहां खड़ा है।
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025: प्रमुख बातें
- फिनलैंड लगातार आठवें वर्ष दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना हुआ है।
- शीर्ष 10 सबसे खुशहाल देश:
- फिनलैंड
- डेनमार्क
- आइसलैंड
- स्वीडन
- नीदरलैंड
- कोस्टारिका
- नॉर्वे
- इजराइल
- लग्जमबर्ग
- मैक्सिको
- अमेरिका की स्थिति: अमेरिका 24वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह 23वें स्थान पर था।
- भारत की स्थिति: 2024 में भारत 126वें स्थान पर था, लेकिन 2025 में इसमें सुधार हुआ है और भारत अब 118वें स्थान पर पहुंच गया है।
भारत की स्थिति में सुधार और आगे की चुनौतियां
भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी इसे काफी लंबा सफर तय करना है। पिछले वर्षों की तुलना में भारत की स्थिति निम्नलिखित रही है:
- 2021 – 139वां स्थान
- 2022 – 136वां स्थान
- 2023 – 126वां स्थान
- 2024 – 126वां स्थान
- 2025 – 118वां स्थान
हालांकि यह सुधार स्वागत योग्य है, लेकिन भारत को अपनी रैंकिंग को और बेहतर करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है:
- सामाजिक सहयोग: समाज में एकता और समर्थन को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- आय असमानता: बेरोजगारी और आय असमानता को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
- स्वास्थ्य सेवाएं: हेल्थकेयर सेक्टर को और मजबूत करना होगा।
- भ्रष्टाचार और प्रशासनिक सुधार: सरकारी संस्थानों पर विश्वास बढ़ाने की जरूरत है।
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट की पृष्ठभूमि
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट पहली बार 2012 में प्रकाशित हुई थी। इसका बीजारोपण भूटान द्वारा किया गया था, जिसने सकल राष्ट्रीय खुशी (Gross National Happiness – GNH) की अवधारणा को आगे बढ़ाया। 1972 में भूटान के चौथे राजा जिगमे सिंह वांगशुक ने यह विचार प्रस्तुत किया कि आर्थिक विकास के साथ-साथ मानसिक और सामाजिक कल्याण को भी मापा जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2013 से हर साल 20 मार्च को अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस (World Happiness Day) के रूप में मनाने की शुरुआत की। वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट का प्रकाशन इस दिन किया जाता है। रिपोर्ट को तैयार करने में प्रमुख संस्थान शामिल होते हैं, जिनमें सतत विकास समाधान नेटवर्क (SDSN) और अन्य प्रतिष्ठित वैश्विक संस्थाएं शामिल हैं।
रैंकिंग तय करने की प्रक्रिया
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट विभिन्न मानकों के आधार पर देशों की रैंकिंग तय करती है:
- जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy)
- सामाजिक सहयोग (Social Support)
- आर्थिक स्थिति (GDP per Capita)
- स्वतंत्रता (Freedom to Make Life Choices)
- उदारता (Generosity)
- भ्रष्टाचार की अनुपस्थिति (Perception of Corruption)
निष्कर्ष
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 से यह स्पष्ट होता है कि खुशी केवल आर्थिक संपन्नता से नहीं मापी जाती, बल्कि जीवन की गुणवत्ता, सामाजिक सहयोग, स्वास्थ्य सेवाएं और प्रशासनिक पारदर्शिता जैसे कारक भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत ने इस साल अपनी स्थिति में सुधार किया है, लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में और बेहतर करने की आवश्यकता है। यदि भारत आय असमानता को कम करता है, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करता है और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखता है, तो भविष्य में इसकी रैंकिंग और भी बेहतर हो सकती है।
क्या भारत आने वाले वर्षों में टॉप 50 खुशहाल देशों में शामिल हो पाएगा? अपनी राय हमें कमेंट में जरूर बताएं!